महिला अंतराष्ट्रीय दिवस पर एक ऐसी कहानी जो दिल झकझोर देगी …इस महिला को सलाम

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है , जैसा कि बोला जाता है भारत पुरुष प्रधान देश है किंतु भारत के इतिहास में नारी शक्ति का अहम योगदान रहा है चाहे हम लक्ष्मीबाई की बात करें या रानी पद्मावती की, समय-समय पर नारी शक्ति ने यह बताने का काम किया कि नारी कमजोर नहीं बल्कि दयावान है , ममता की प्रतीक भी है और समय पड़ने पर काली और दुर्गा भी है |
आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने वाले हैं जो कि महिला की ममता, दया एवं करुणा को दिखाता है आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और हम इनकी कहानी इसलिए दिखा रहे हैं जहां आज के समय में बेटी को प्रताड़ित करना या पैदा लेते ही फेंक दी जाती है या भ्रूण हत्या या कहे तो बेटी को एक अभिशाप के तौर पर देखा जाता है वही ऐसे लोग भी हैं जो बेटी को लक्ष्मी का स्वरूप मानते हैं और बेटी के जन्म लेने पर खुशियां मनाते हैं |
आज की कहानी मोहनपुर महागामा के रहने वाली जानकी सिंह की है, जिन्होंने एक बेटी को गोद लिया है |
उन्होंने बताया कि यह बच्ची उनके गांव की है और उस बच्ची के पिताजी बच्ची के जन्म लेने के 3 महीने पहले ही उनका देहांत हो गया था पारिवारिक विवाद के कारण उन्होंने आत्महत्या कर लिया था | उसके बाद बताया जाता है कि बच्ची के पिता के देहांत के बाद उनके घर वालों ने बच्ची की मां को घर से निकाल दिया था ।
3 महीने तक लड़की की मां अपने मायके में रही 3 महीने के बाद बच्ची का जन्म गोड्डा के एक प्राइवेट अस्पताल में हुआ बताया जाता है कि बच्ची को अस्पताल में एक शौचालय के बाहर में रख दिया गया था और किसी भी प्रकार का देखभाल नहीं किया जा रहा था , बच्ची की मां भी गंभीर रूप से बीमार थी और उनके मायके के लोग भी मदद करने में असक्षम थे तो लड़की की मां ने गांव मैं मुखिया जी एवं सरपंच साहब एवं तमाम गांव के लोगों से मदद की गुहार लगाई किंतु कोई भी मदद के लिए तैयार नहीं हुए जब यह घटना जानकी सिंह को पता चला तो उन्होंने लड़की की मां को आंगनबाड़ी विद्यालय में बुलवाया ।
हम आपको बता दें कि जानकी सिंह वहीं के गांव में आंगनबाड़ी के शिक्षिका के रूप में कार्यरत है और मेहरमा प्रखंड के सभी सेविका संघ की अध्यक्षा भी है ।
जानकी जी ने उनके परिवार को बुलाकर भी समझाया कि जो भी खर्च होता है देकर बच्ची को लेकर आए लेकिन किसी ने बात नहीं मानी ।
जानकी जी ने कहा बच्चे की मां की बात सुनकर उन्हें दया आ गया उन्होंने कहा जब उनकी मां से यह सुना की बच्ची को बेच देंगे ताकि हम अपना बेटी का जान तो बचा सकेंगे यह बात सुनकर उन्होंने कहा कि हमारी आंख भर आई ।
बच्चे की मां 3 दिन से भूखी थी उन को खाना खिलाया और अपने साथ घर ले आई फिर अगले सुबह गोड्डा के प्राइवेट अस्पताल गए जहां बच्ची थी जानकी जी ने अस्पताल में चिकित्सकों से बहुत रिक्वेस्ट भी किया किंतु इससे उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा चिकित्सकों एवं अस्पताल के कर्मचारियों का कहना था कि बच्ची और बच्ची की मां इस अस्पताल में रहकर झाड़ू पोछा करके उनके इलाज के पैसे को चुका कर तब घर जाएगी यहां से चाहे जितना दिन लगे ।
ये सब सुनकर उनको इतना खराब लगा उन्होंने चिकित्सकों से बात की उन्होंने पूछा कि इलाज में कितने रुपए खर्च हुए हैं उनके नाम पर अस्पताल में 65000 का बिल था , उन्होंने अपने जीवन की सारी कमाई, सारी बचत पूंजी बिल को चुकाने में दे दिया उन्होंने कहा कि इस बच्ची का क्या कसूर है जो इतना उसे प्रताड़ित किया जाएगा ।
जानकी जी का कहना है उनके पति का आज से 14 वर्ष पहले देहांत हो गया था तो अगर किसी परिवार में कोई गारजेन नहीं होता है तो कैसे दर-दर भटकना पड़ता है और संघर्ष करके कैसे जीवन यापन करना होता है वह उनसे ज्यादा कोई और कैसे समझ सकता है ।
अब से उस बच्ची की पूरी जिम्मेदारी जानकी जी का है उन्होंने बच्ची को गोद ले लिया है और अब बचपन से पढ़ाई लिखाई से लेकर शादी तक का पूरा खर्चा उठाएंगी और बच्ची अब से उनके अपनी बेटी है ।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और जानकी जी ने आज के दिन को अच्छे से परिभाषित किया है और पूरे समाज को नारी शक्ति क्या होती है यह बताने का काम किया है नारी अबला नहीं दयावान , ममता की प्रतीक एवं करुणा स्वरूप है यह बताने का काम किया है आज के दिन हम सभी मिलकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी नारियों का सम्मान करना सीखें ।