साहेबगंज ज़िले के मंडरो प्रखंड अंतर्गत आने वाले कौड़ीखुटाना पंचायत में देखने को मिल रही है प्रशासनिक खानापूर्ति की अद्भूत नमूना।
सरकार ने अपने प्रयासों से पुल निर्माण का आदेश तो बर्षो पहलें ही पारित कर दिए ताकि गांव के ग्रामीण को आने- जानें के लिए किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न ना हो लेकिन वर्तमान स्थिति जो है ना साहब!वह हमारे समझ से परेय है।जमीनी स्तर पर पुल निर्माण के नाम पर जो कार्य हुआ है वह बस प्रशासनिक खानापूर्ति को दर्शाती है।
हम बात कर रहे हैं मंडरो प्रखंड के अंतर्गत आने वाली कौड़ीखुटाना पंचायत में निर्मित हुए पुल की।यह पुल आपस के गांव जैसे कि करला,रंगुकीता,पंडरिया और दीयालपुर आदि को जोड़ने का काम करती है। पुल का निर्माण तो नही हो पाया है मगर प्रशासन ने रास्ते में गड्ढा जरूर खुदवाया है।काम के नाम पर पर गड्ढे की दोनों छोर पर मिट्टी डाल दिया गया है ताकि पता चल सके कि यहाँ भी विकास की गंगा बहती है।
बरसात के दिनों में वर्षा होने के कारण मिट्टी ढह जाती है जिससे कि लोगों को आवागमन में काफी कठिनाईयो का सामना करना पड़ता है।ग्रामीणों का कहना कहना है की अगर मुखीया,वार्ड सदस्य अथवा किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा अगर इस मामले पर ध्यान दिया गया होता तो यह समस्या कब की दूर हो जाती है।चुनाव के वक्त सभी नेता वोट लेने के लिए दरवाजे तक आ जाते हैं लेकिन जब जनता को समस्या होती है तो इसकी देखभाल करने के लिए सब बारी-बारी से अपनी आँखों को मूंद लेता है।