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उर्दू स्कूल के विवाद पर कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने की भाजपा की तारीफ

उर्दू स्कूल का विवाद गहराते ही सत्ताधारी पार्टी के विधायक बगावत करने लग गए हैं।कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी ने उर्दू स्कूल से उर्दू मिटाने और नाम बदलने को लेकर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।

कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी पिछले 2 दिनों से स्कूल से उर्दू नाम हटाने को लेकर अपने ही सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं।

इरफान अंसारी ने अपने ट्विटर पर लिखा कि

18 साल यहां भाजपा की सरकार रही,लेकिन कभी भी उर्दू और उर्दू विद्यालयों के साथ छेड़छाड़ नहीं किया गया. आखिर यह क्या नौबत आ गई की उर्दू मिटाया जा रहा है। इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।यह आत्मसम्मान की लड़ाई है। जहां सम्मान नहीं वहाँ इरफान नहीं।शिक्षा विभाग में आज भी ओछी मानसिकता के पदाधिकारी जमे है।जिस कारण उर्दू को नीचा दिखाया जा रहा है। समाज को नीचा दिखाने का काम शिक्षा विभाग कर रहा है जो कतई बर्दाश्त नहीं करूंगा”।

 

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अपने ट्वीट में लिखा “जहाँ सम्मान नही वहाँ इरफान नही”।

 

इरफान अंसारी ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा है कि जहां सम्मान नहीं वहां इरफान नहीं। यह पंक्ति दिखाता है कि महागठबंधन के विधायकों में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जब उर्दू स्कूलों से उर्दू का नाम मिटना शुरू हो चुका हैं। हर जिले में इसका आदेश आ चुका है तो क्या अब उर्दू स्कूल से उर्दू नाम हटने के बाद इरफान अंसारी पार्टी में ही बगावत करेंगे या महागठबंधन में टूट होगी।

हालांकि इरफान अंसारी ने ट्वीट में भाजपा की भी तारीफ की है भाजपा के तारीफ में इरफान अंसारी ने लिखा है कि 18 साल यहां भाजपा की सरकार रही लेकिन कभी उर्दू नामों के साथ छेड़छाड़ नहीं किया गया।पर अब ऐसा क्यों।

कल के बाद आज एक और ट्वीट।

 

इरफान अंसारी ने आज ट्वीट करते हुए लिखा है कि उर्दू और हिंदी किसी की जागीर नहीं है। हिंदुओं की भाषा संस्कृत और मुसलमानों की भाषा फारसी हैं।
उर्दू और हिंदी आपसी भाईचारा और मोहब्बत का प्रतीक जुबान हैं।

18 साल भाजपा की सरकार रही लेकिन उर्दू विद्यालय से नहीं मिटा।
पदाधिकारी पुरानी प्रथा से छेड़छाड़ ना करें नहीं तो गंभीर परिणाम होगा।

 

 

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क्या है उर्दू स्कूलो का विवाद।

दरअसल राज्य के कई क्षेत्रों में जो मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं। उसमें जो स्कूल उर्दू नहीं थे उसका भी नाम बदलकर उर्दू कर दिया गया जिसके बाद यह बवाल शुरू हुआ
गैर उर्दू स्कूलों को भी उर्दू बना दिया गया और स्कूलों में शुक्रवार की छुट्टी और रविवार को क्लास लगाया जाने लगा। जिसके बाद पूरे राज्य भर में विवाद शुरू हुआ।
और अधिकारियों ने आदेश निकाला की उर्दू स्कूलों का लिस्ट जमा कर।जहां भी जबरन उर्दू किया गया है उसमें सुधार कराया जाए।

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