पाकिस्तानी सोशल एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई नोवेल पुरुस्कार पाने वाली की रामगढ़ के सरकारी विद्यालय में पोस्टर लगने से विवाद शुरू ।
पाकिस्तानी सोशल एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई नोवेल पुरुस्कार पाने वाली की रामगढ़ के सरकारी विद्यालय में पोस्टर लगने से विवाद शुरू

पाकिस्तानी सोशल एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई नोवेल पुरुस्कार पाने वाली की रामगढ़ के सरकारी विद्यालय में पोस्टर लगने से विवाद शुरू ।
झारखंड के रामगढ़ जिले के कुजू के एक सरकारी हाई स्कूल में पाकिस्तानी सोशल एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई नोवेल पुरुस्कार पाने वाली की पोस्टर लगने से विवाद शुरू हो गया है।
आज गुरुवार को स्थानीय मुखिया जय कुमार ओझा स्कूल में जाकर स्कूल में मलाला की पोस्टर लगाने वाली शिक्षिका मनीषा धवन के साथ पोस्टर को लेकर विवाद किया है, टीचर को मुखिया ने कहा कि स्कूल के मुख्य दीवार में हमारे देश के महापुरुषों की तस्वीर ना लगाकर सिर्फ मलाला यूसुफजई की बड़ी सी तस्वीर आपने क्यों लगाया है, क्या हमारे देश में नोवेल पुरुस्कार पाने नही है उनकी तस्वीर आपने नही लगाई, देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदो की तस्वीर आपने नही लगाई आखिर क्यों।
वही इस मामले में मलाला की पोस्टर लगाने वाली शिक्षिका मनीषा धवन से जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य है कि शिक्षा के क्षेत्र में लडकिया मोटिवेट हो, जबकि स्कूल के प्रिंसिपल रविंद्र प्रसाद ने बताया कि यह पोस्टर किसी वरीय अधिकारी की आदेश से नही लगाया है स्कूल की टीचर मनीषा धवन ने छात्राओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश से यह लगाया गया है।
स्कूल में मलाला की पोस्टर लगाने वाली शिक्षिका मनीषा धवन ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य छात्राओं को शिक्षा के क्षेत्र में मोटिवेट करना है।
स्कूल के प्रिंसिपल रविंद्र पसाद ने कहा कि मलाला की पोस्टर लगाने के लिए कोई आदेश नहीं है, हमारी स्कूल की शिक्षिका मनीषा धवन ने इसे छात्राओं को शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए यह पोस्टर लगाई है।