पैदा हो गया दुनिया का पहला सुपर बेबी, तीन लोगों के DNA से हुआ तैयार , विज्ञान की नई ऊंचाई !
पैदा हो गया दुनिया का पहला सुपर बेबी, तीन लोगों के DNA से हुआ तैयार , विज्ञान की नई ऊंचाई !

इंग्लैंड में पैदा हुआ दुनिया का पहला सुपर बेबी,जिसे तीन लोगों के DNA से बनाया गया है, विज्ञान वरदान है या अभिशाप? कहते हैं 21 वीं सदी विज्ञान की सदी मानी गई है इस सदी में विज्ञान में ऐसी तरक्की की है की तरफ से लगने वाली चीजें विज्ञान की वजह से सार्थक हुए
अब तो बच्चा पैदा करना भी विज्ञान की पद्धति से आसान हो गया कहते हैं विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि बिना मां के गर्भ के भी बच्चे को पैदा किया जा सकता है लेकिन आज की खबर ऐसी है इस पर भरोसा करना मुश्किल है लेकिन विज्ञान पर अगर आपको भरोसा है तो आपको इस खबर पर भी भरोसा करना होगा , इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक बच्चे में 3 लोगों का डीएनए मौजूद है और बच्चे ने इस धरती पर जन्म लिया और बच्चा स्वस्थ है
यानी कि 3 पेरेंट्स वाले बच्चे ने दुनिया में पहली बार जन्म लिया इस बच्चे में कोई जेनेटिक्स बीमारी भी नहीं होगी क्योंकि बच्चे में माता-पिता के अलावा तीसरा डीएनए भी मौजूद है मेडिकल साइंस की तरक्की ने सबको हैरत में डाल दिया चमत्कारी बच्चा इंग्लैंड में पैदा हुआ इसमें डीएनए की सुरक्षा के लिए IVF तकनीक का इस्तेमाल किया गया गौरतलब है इस बच्चे को माइटोकॉन्ड्रिया डोनेशन ट्रीटमेंट तकनीक से बनाया गया है सुपर बेबी को किस प्रोसेस से मनाया गया
वैज्ञानिकों ने एक स्वस्थ महिला के EGGS एक से उत्तक लेकर EGGS तैयार किया जिसके बाद भ्रूण में बायोलॉजिकल माता पिता स्पर्म और EGGS के माइटोकॉन्ड्रिया को साथ मिलाया गया, माता पिता के अलावा बच्चे के शरीर मे तीसरी महिला डोनर के जेनेटिक्स मेटेरियल में से 37 जीन डाला गया ,हालांकि 99.8 फीसदी DNA माता पिता का ही है यानी कि कुछ फीसदी DNA ही तीसरे आदमी से लिया गया है, इस पद्धति को माइटोकांड्रियल रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट कहते हैं
,इस तरह के बच्चे को पैदा करने का उद्देश्य जेनेटिक बीमारियों को रोकना है, दुनिया में करीब 6000 में से एक बच्चा माइटोकांड्रियल यानी जेनेटिक बीमारी से ग्रसित होता है इस सुपर बेबी को जन्म देने का मकसद इस पूरे प्रोसेस को तैयार करने का मकसद वैज्ञानिकों का यही है कि बच्चे में जेनेटिक्स बीमारी ट्रांसफर नहीं हो और वैज्ञानिक इस मकसद में सफल भी हुए!