क्या सच मे राँची के सिल्ली में ऊँची जाती वाले लोग छोटी जाती के लोगो को कुंवे से पानी भरने नही देते थे।जिला प्रशासन ने जाँच के बाद किया खुलासा।
क्या सच मे राँची के सिल्ली में ऊँची जाती वाले लोग छोटी जाती के लोगो को कुंवे से पानी भरने नही देते थे।जिला प्रशासन ने जाँच के बाद किया खुलासा।

क्या सच मे राँची के सिल्ली में ऊँची जाती वाले लोग छोटी जाती के लोगो को कुवे से पानी भरने नही देते थे।जिला प्रशासन ने जाँच के बाद किया खुलासा।
राँची:–हाल ही के दिनों में राजधानी रांची के सिल्ली प्रखंड के गांव का वीडियो खूब वायरल हो रहा था। उस वीडियो में दिखाया गया था कि ऊंची जाति के लोग छोटे जाति के लोगों को अपने कुए से पानी भरने नहीं देते हैं कई जगहों पर यह खबर खूब वायरल हुई थी।कई अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से परोसा था।
इधर जब मुख्यमंत्री के आदेश के बाद रांची जिला प्रशासन ने इस मामले का जांच किया है तो आज राखी जिला प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूरी जानकारी साझा की है आप इस प्रेस विज्ञप्ति को पढ़कर समझिए कि उस गांव का पूरा मसला क्या था
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*#जातपात नहीं है मुद्दा – नवाडीह के अधिकांश कुएं निजी भूमि पर, गर्मी के कारण कुएं का जलस्तर कम होना बना पानी नहीं देने का कारण*
*#जातपात को लेकर प्रसारित की गई बातों को नवाडीह के ग्रामीणों से सिरे से खारिज किया*
*#बोरिंग कराया गया, टैंकर से भी मिल रहा पानी*
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*रांची*
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद सिल्ली प्रखण्ड के बड़ाचांगडू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव का रांची जिला प्रशासन ने दौरा किया। मुख्यमंत्री को जानकारी मिली थी कि यहां सभी कुएं ऊंची जातिवालों के हैं जहां दलित पानी भर नहीं सकते हैं। मुख्यमंत्री का आदेश मिलते ही उपर्युक्त विषय के संबंध में स्थल जांच किया किया गया।
ग्रामीणों ने छुआछूत जैसी बातों का किया खण्डन
उपरोक्त मामले की स्थलीय जांच के क्रम में गांव का भ्रमण किया गया एवं सभी पक्षों के साथ बैठक की गई। सभी पक्षों की बातों को सुना गाय। सभी तथ्यों को सुनने एवं पड़ताल के उपरांत “छुआ-छूत’ “अधविश्वास” “ऊची जाति” “लोहरा (दलित) जैसे शब्द भ्रामक एवं उन्माद फैलाने वाले प्रतीत होते हैं। यह घटना महतो एवं लोहरा जाति के बीच की है, जिसमें “ऊची जाति या ‘दलित’ जैसी कोई भावना नहीं हैं। जांचोपरांत पता चला कि दोनों समूह झारखण्ड राज्य की जातियों की सूची पिछड़ी जाति ( BC Annexure-1) में दर्ज है। ग्रामीणों ने भी छुआछूत जैसी बातों का खण्डन किया एवं उनके द्वारा बताया गया कि समाज के लोग सभी सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एक साथ सहभागी होते है।
समस्या पानी की किल्लत को लेकर हुई, पेयजल की व्यवस्था के कार्य शुरू
स्थलीय जांच में पता चला कि मूलतः यह समस्या पानी की किल्लत को लेकर उठी। अधिकांश कुएं निजी जमीन पर बने है, जिसमें कुछ लोगों के द्वारा अन्य लोगों को पानी भरने नहीं दिया जाता है क्योंकि गर्मी के कारण कुएं का जलस्तर कम हो गया है। भ्रमण के दौरान सरकारी कुएं चिन्हित हुए, जो साफ सफाई के अभाव में या तो सूख गए है या पानी गंदा हो गया है। जल संबंधी समस्या का निरीक्षण सहायक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, अनगड़ा एवं कनीय अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, सिल्ली के द्वारा किया गया। सर्वेक्षण के उपरांत खराब पड़े चापाकल की मरम्मति एवं पुराने जलमीनार की मरम्मति तत्काल करा दी गई। सम्पूर्ण गांव को SVS से जलापूर्ति हेतु अच्छादित करने के लिए स्वीकृत योजना के तहत कार्य प्रारंभ करा दिया गया है एवं विभाग द्वारा बोरिंग भी कराया गया है। वर्त्तमान में वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है साथ ही, निजी कुएं से भी पानी लेने पर सहमति बनी है।