विलुप्त हुए चीतों को एक बार फिर से भारत में बसाने का प्रयास…..

भारत में चीतों की प्रजाति विलुप्त हो चुकी थी। लगभग 7 दशकों के बाद भारत में चीतों को लाया गया । भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर भारत में चीतों की प्रजाति को लाया गया । प्रधानमंत्री के 72 में जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से चीतों को लाकर भारत के केएनपी में छोड़ा गया है ।
कहां से लाया गया चितों को….?
नामीबिया से चीतों को लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान केएनपी में रखा गया है ।उन्हें देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से आठ चीते शनिवार सुबह कुनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे. पहले इन्हें विशेष विमान से ग्वालियर हवाई अड्डे और फिर हेलीकॉप्टरों से श्योपुर जिले में स्थित केएनपी लाया गया.
कैसे लाए गए चीते….?
इन चितों को लाने के लिए विमान का प्रयोग किया ।चीतों को ‘टेरा एविया’ की एक विशेष विमान से लाया गया है जो यूरोप में चिसीनाउ, मोल्दोवा में स्थित एक एयरलाइन है और चार्टर्ड यात्री और मालवाहक उड़ानें संचालित करती है.
प्रधानमंत्री पहुंचे केएनपी ….
उन्हें लाने के उपरांत प्रधानमंत्री खुद केएनपी पहुंचे
चीतों को पिंजरे में रखा उन्होंने देखा और उसके बाद अपने कैमरे से कुछ तस्वीरें भी खिंचवाई । इतना ही नहीं उन्होंने चीतों को रखने का सारा बंदोबस्त काफी बारीकी से जांच किया । प्रधानमंत्री का यह प्रयास है कि एक बार फिर से भारत में चीतों के नस्ल को बसाया जाए ।
भारत में चीतों को विलुप्त हुए काफी समय हो गया है।
1952 में ही पूर्ण रूप से भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था । भारत में चीतों को बसाने के लिए अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया को वर्ष 2009 में पारित किया गया पर कुछ समय पहले ही या सुचारू रूप से सक्रिय हो पाया है ।