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पूरा हुआ सुनहरा सफर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल का आज आखिरी दिन, राष्ट्र को करेंगे संबोधित

निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज देश के नाम अपना संबोधन देंगे. राष्ट्रपति भवन द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में इसकी जानकारी दी गई है. बयान के मुताबिक, देश के नाम कोविंद के संबोधन को आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी चैनलों पर पहले हिंदी और उसके बाद अंग्रेजी में टेलीकास्ट किया जाएगा. बयान में कहा गया है कि संबोधन का हिंदी और अंग्रेजी में प्रसारण किए जाने के बाद दूरदर्शन के सभी रिजनल चैनलों द्वारा इसे क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है। (फाइल फोटो)

बयान के मुताबिक, आकाशवाणी अपने क्षेत्रीय नेटवर्क पर संबोधन को क्षेत्रीय भाषाओं में रात 9:30 बजे से प्रासरित करेगा. गौरतलब है कि राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद का कार्यकाल आज पूरा हो रहा है. उनके बाद इस पद की जिम्मेदारी भारी वोटों से जीतने वालीं द्रौपदी मुर्मू संभालेंगी. मुर्मू गुरुवार को देश की अगली राष्ट्रपति चुनी गईं थीं. वह सोमवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी. वहीं, रामनाथ कोविंद को विदाई देने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों द्वारा शनिवार को एक विदाई समारोह का आयोजन किया गया था. इस दौरान अपने संबोधन में कोविंद ने राजनीतिक दलों से ‘देश सर्वप्रथम’ की भावना के साथ दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों के कल्याण के लिए जरूरी मुद्दों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आह्वान किया.

नागरिकों से ‘गांधीवादी तरीकों’ को अपनाने की अपील

उन्होंने नागरिकों से विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए गांधीवादी तरीकों को अपनाने की अपील की. संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों द्वारा उनके लिए आयोजित किए गए विदाई समारोह में अपने संबोधन में कोविंद ने संसद को ‘लोकतंत्र का मंदिर’ बताया, जहां सांसद उन लोगों की इच्छाओं को व्यक्त करते हैं, जिन्होंने उन्हें चुनकर कर भेजा होता है. कोविंद ने भारतीय संसदीय प्रणाली की तुलना एक बड़े परिवार से की. उन्होंने सभी पारिवारिक मतभेदों को सुलझाने के लिए शांति, सद्भाव और संवाद की जरूरत पर जोर दिया

विरोध जताने के लिए कई संवैधानिक तरीके’

कोविंद ने कहा, ‘राजनीतिक दलों और लोगों के पास अपना विरोध जताने के लिए कई संवैधानिक तरीके हैं.’ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने दूसरे पक्ष का सम्मान करते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शांति और अहिंसा मार्ग का इस्तेमाल किया था. कोविंद ने कहा कि राजनीतिक दलों की अपनी प्रणाली और राजनीतिक प्रक्रिया है. उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और इस बात पर विचार करना चाहिए कि नागरिकों के विकास और कल्याण के लिए क्या जरूरी है.’

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