कैसे होता है देश के राष्ट्रपति का चुनाव , कौन दिलाता है राष्ट्रपति को शपथ !!

कल यानी कि 21 जुलाई को भारत को नई और पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिल चुका है , और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू शपथ ग्रहण करेंगी . बता दें कि द्रोपदी मुर्मू आजादी के बाद देश के 15 वे राष्ट्रपति के रूप में शपत लेंगी । बता दें कि
राष्ट्रपति को चीफ जस्टिस इस पद की शपथ दिलाता है. यानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भारत के प्रथम नागरिक को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. अगर मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थित रहती है तो उनके जगह पर सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज राष्ट्रपति को शपथ दिलाते हैं. राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 सालों के लिए होता है.
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव
चुनाव की प्रक्रिया के बारे में अब तक आप जान ही गये होंगे. संविधान के अनुच्छेद 54 में भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें बताया गया है कि राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है. यानी गुप्त मतदान के जरिये देश के चुने हुए जनप्रतिनिधि (लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसद और राज्यों की विधानसभाओं के विधायक) देश के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं.
राष्ट्रपति के यदि इस्तीफा देने की स्थिति बनती है तो इस सूरत में उपराष्ट्रपति की भूमिका अहम हो जाती है. राष्ट्रपति अपना पत्र उपराष्ट्रपति को सौंप कर इस्तीफा दे सकते हैं. राष्ट्रपति का पद 6 महीने से अधिक समय तक रिक्त नहीं रह सकता है. वहीं किसी राष्ट्रपति की अगर अकस्मक मृत्यु हो जाती है तो उस स्थिति में उपराष्ट्रपति उनका कार्यभार संभालते हैं. राष्ट्रपति का कार्यभार संभालते से पहले उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति पद की शपथ लेना होता है. यह शपथ भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा ही दिलाई जाती है. और अगर उस समय उपराष्ट्रपति का पद भी रिक्त हो तो यह जिम्मेदारी देश के चीफ जस्टिस संभालते हैं. सीजेआई का भी पद रिक्त होने की स्थिति में यह जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज के कंधे पर आ जाती है.
भारत वर्ष में राष्ट्रपति कब शपथ लेगा इस बात को लेकर संविधान में किसी भी तरह का कोई उल्लेख नहीं है. हालांकि देश में हर पांच साल के बाद नया राष्ट्रपति हमेशा 25 जुलाई को ही शपथ लेता है. इसकी एक छोटी-सी स्टोरी है. वो यह है कि 1977 में नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए थे. और उन्होंने 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. जिसके बाद से यह देश के राष्ट्रपति पद के शपथ को लेकर एक परंपरा बन गई. उसके बाद से सभी राष्ट्रपति 25 जुलाई को ही शपथ लेते हैं. अब हम आपको बताते है कि भारत वर्ष के राष्ट्रपति के अधिकार में क्या-क्या होता है, उनके पास क्या शक्तियां होती है..
भारत का राष्ट्रपति ब्रिटेन की महारानी की तरह होता है, जिसका काम आलंकारिक अधिक होता है. यानी राष्ट्रपति देश के राजनैतिक संस्थानों के काम की निगरानी करता है ताकि राज्य के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मिलजुल कर काम किया जा सकें. हालांकि आप अगर देश के संविधान को पढ़ेंगे तो ऐसा लगेगा कि ऐसा कुछ नहीं है जो राष्ट्रपति नहीं कर सकता. अनुच्छेद 53 के तह संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी. राष्ट्रपति इसका प्रयोग संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करता है.