2 साल में अंकिता के पिता ने गवाए 2 अपनो के जान। किसी को कैंसर ले गया तो कोई जिंदा जला दी गई।

12वी में पढ़ने वाली अंकिता ने सिर्फ ये दुनिया नही छोड़ा बल्कि एक परिवार की आस छोड़ दी,एक पिता का साथ छोड़ दिया,एक भाई को माँ की तरह प्रेम देना छोड़ दिया।एक दादी औऱ बाबा के बुढ़ापे का सहारा छोड़ दिया औऱ इस दुनिया से चले गई।
किराने की दुकान में काम करने वाले संजीव सिंह शायद इस जिम्मेदारी से काम कर रहे थे कि उनके घर में बेटी(अंकिता)जवान हो रही हैं,उसका व्याह करना है।उसकी डोली सजानी हैं,पर उन्हें शायद ये पता नही था कि उसकी बेटी अंकिता भी उन्हें बिल्कुल वैसे छोड़ चले जाएगी जैसे उनकी पत्नी 2 साल पहले उन्हें छोड़ चली गई हैं।
दरअसल अंकित दुमका के जिरवाडिह की रहने वाली थी।
2 कमरे के मकान में अंकिता के साथ उसके पिता संजीव सिंह,दादा अनिल सिंह और दादी बिमला देवी रहती थी।
अंकिता की बड़ी बहन की शादी हाल के ही दिनों में हुई थी।
अंकिता का छोटा भाई मयंक भी उनके साथ उसी घर मे रहता था।
कुछ दिन पहले अंकिता की माँ की मौत कैंसर से हो गई थी जिसके बाद अंकिता बूढ़े दादा दादी के बुढ़ापे का सहारा थी और पिता के आंखों का तारा।पिता को ड्यूटी भेजने से लेकर पिता के रात्रि भोजन तक अंकिता उनके साथ रहती थी।
अंकिता के भाई मयंक ने बड़े भावुकता के साथ बताया कि दीदी उसे बहुत प्यार करती थी जिस रोज ये घटना घटी वो औऱ दादी एक कमरे में साथ सोए थे।बगल के कमरे में दीदी अकेले सोई थी।अचानक से दीदी ने जोर जोर से चिल्लाना शुरू किया।और खुद चापानल पर बाल्टी में रखी पानी अपने ऊपर डाल ली।उसके बाद उसका धधकता आग थोड़ा कम हुआ।पेट्रोल के छिड़काव के कारण अंकिता के कमरे में भी आग जल रही थी जिसे पिता जी ने बुझाया।
औऱ दीदी को अस्पताल ले जाया गया।
वहाँ से उन्हें राँची रेफर किया गया जहाँ उसकी मौत हो गई।