दुमका कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी लेने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक को सजा, 50 लाख जुर्माना
दुमका कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी लेने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक को सजा, 50 लाख जुर्माना

दुमका कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है बता दें की फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी लेने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक को 6 साल की सजा मिली है साथ ही 50 लाख का जुर्मान भी लगाया गया है।
बुरा काम करने बुरा ही नतीजा मिलता है.। ऐसा ही एक मामला दुमका जिले के सरैयाहाट का है जहाँ एक सेवानिवृत्त शिक्षक सुखदेव मंडल ने फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी तो की ही उसने सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी लाभ भी उठाने से नहीं हिचका ।ऐसे मे विभाग को जानकारी मिली तो विभाग ने उसे सरकारी राशि जमा करने के आदेश दिया तो वह मुकर गया । मामला अदालत जा पंहुचा. 12 साल तक चले इस मुकदमे मे शुक्रवार को अदालत ने दोषी पाया और मामले को लेकर प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी विजय कुमार यादव की अदालत ने शिक्षक को तीन धाराओ में छह साल की सजा और 50 लाख रुपया जुर्माना लगाया । जुर्माना की राशि सरकारी कोष में जमा नहीं करने पर अभियुक्त को छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी । न्यायलय के इस फैसले मे ऐतिहासिक यह है कि तीन धाराओ में सुनाई गई सजा मे कारावास की सजा एक साथ नहीं चलेगी। बल्कि पहले तीन साल , फिर दो साल और अंत में एक साल की सजा अभियुक्त को काटनी पड़ेगी । सरकार की ओर से एपीपी खुशबूददीन अली ने बहस की। इस केस में केवल एक की गवाही दर्ज कराई गई।
*क्या है पूरा मामला*
वर्ष 2011 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक को जांच के क्रम में पता चला कि दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के कानीजोर प्राथमिक विद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक सुखदेव मंडल ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की । इतना ही नहीं मण्डल ने सेवानिवृत्त होने के बाद सरकारी प्रावधान के तहत राशि भी डकार ली और उफ़ तक नहीं की ।विभाग के पदाधिकारी ने मंडल के प्रमाण पत्र पर संदेह होने पर 27 अप्रैल 11 को उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव को सारी जानकारी देकर कुछ बिंदुओं पर जांच कराने का अनुरोध किया। जांच में पता चला कि शिक्षक ने 1968 का मैट्रिक का जो प्रमाण पत्र दस्तावेजों के साथ जमा किया है, अभिलेख में उनके नाम की जगह दूसरे का नाम है। इससे लगता है कि मंडल ने फर्जी कागजात तैयार कर नौकरी हासिल की है। उन्होंने तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अमरनाथ साहू को तत्काल प्राथमिकी का निर्देश दिया। साथ ही शिक्षक को नोटिस देकर कहा कि सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने जो सरकारी राशि प्राप्त की है, एक पक्ष के अंदर सारी राशि देवघर कोषागार में जमा कर दें। लेकिन शिक्षक की ओर से किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद साफ हो गया कि शिक्षक ने सारी सरकारी राशि का गबन कर लिया है। डीएसई के आदेश पर बीईईओ ने 18 अगस्त 11 को सरैयाहाट थाना में फर्जी प्रमाण पत्र पर सरकारी सेवा करने और सेवानिवृत्ति के बाद प्राप्त सरकारी राशि वापस नहीं करने का मामला दर्ज कराया।