कानों में पत्ता , आंखों में चश्मा और मच्छरदानी से चेहरे ढंक क्यों घूम रहे ग्रामीण ,जाने इस रिपोर्ट में
कानों में पत्ता , आंखों में चश्मा और मच्छरदानी से चेहरे ढंक क्यों घूम रहे ग्रामीण ,जाने इस रिपोर्ट में

लोग अलग अलग जीवों से परेशान रहते ही है चाहे वो जंगली जीव हो या कोई और लेकिन इस बार माजरा कुछ और ही है दरअसल मामला पश्चिम बंगाल बोर्डर से सटे कुछ गांव जैसे घाटसीला , चाकुलिया , धलभुमगढ प्रखंड और ओडिशा बॉर्डर से सटे कुछ गांव बीहड़ जंगल में इस्थित गांव के लोगों के लिए मक्खियां चिंता का सबब बना हुआ है और बताया जा रहा है की लगभग 30000 से ज्यादा की आबादी इससे परेशान है और तकरीबन 1 महीने से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी तबाह हो चुकी है ।
वही ग्रामीणों के लगातार शिकायत के बावजूद प्रशासन और न स्वास्थ विभाग कोई समाधान निकल रही है और ऐसे में लोग लगातार बीमार पड़ रहे है । इस मौसम में वहा के लोग जंगलों में मौसमी फल चुनने जाया करते थे लेकिन मक्खियों के आतंक से वो लोग करीबन एक महीने से जंगलों में जाना बंद कर दिए है और इसका साफ असर उनके आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है , लेकिन अपने रोजी रोटी के कारण यहां के लोग चस्मा पहन कर या फिर मच्छरदानी , गमछी से चेहरा बांध कर जंगल जा रहे है
मक्खियों के आतंक से परेशान है ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि छोटी-छोटी मक्खियां हैं, एक समूह में रहती हैं और अचानक चेहरे के पास आकर भिनभिनाने लगती हैं. इसके बाद आंख पर हमला कर देती है. कई मक्खियां आंख में घुस जाती हैं, जिससे आंखों जलन और पानी निकलना शुरू हो जाता है. पहाड़ों से सटे स्कूल के बच्चे के पढ़ाई में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. स्कूली बच्चे ठीक से पढ़ाई लिखाई भी नहीं कर पा रहे हैं. शिक्षक बताते हैं कि जब भी पढ़ाने बैठते हैं तो मक्खियां आकर चेहरे के आसपास भिनभिनाने लगती हैं. मक्खियां के कारण गांव के लोग घर के रोजमर्रा के काम में भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत वन विभाग से की लेकिन कोई पहल नहीं किया गया.