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कुकी बहु को बचाने मणिपुर से झारखंड के सिमडेगा भाग कर पहुंचा परिवार , 50 साल की गृहस्थी छोड़ झारखंड आया परिवार !

कुकी बहु को बचाने मणिपुर से झारखंड के सिमडेगा भाग कर पहुंचा परिवार , 50 साल की गृहस्थी छोड़ झारखंड आया परिवार !

कुकी बहु को बचाने मणिपुर से झारखंड के सिमडेगा भाग कर पहुंचा परिवार , 50 साल की गृहस्थी छोड़ झारखंड आया परिवार !

 

 

 

मणिपुर में विभाजन के बवाल के कारण सिमडेगा निवासी एक व्यक्ति कुकी समाज की अपनी बहु को बचाने के लिए मणिपुर में अपनी 50 वर्ष की बसी बसाई गृहस्थी छोड़ कर भाग कर सिमडेगा आया।

सिमडेगा का सेलेस्टिन 50 वर्ष पूर्व मणिपुर काम करने गया था। वहां स्थानीय युवती से शादी कर अपनी गृहस्ती वहीं बसा ली थी। वहां उनके 09 बच्चे भी हुए। सभी की परवरिष मणिपुर में हीं कर सभी की शादी विवाह भी स्थानीय लड़कियों से कर दी। उसकी एक बहु लालरिंगमोई हमर कुकी है। अभी मणिपुर में जातिगत विभाजन को लेकर कुकी और मैती में हो रहे बवाल के दौरान सेलेस्टीन के मणिपुर स्थित घर के पास भी उपद्रवियों का उत्पात होने लगा। सेलेस्टीन का परिवार कैथोलिक धर्म का है और इसकी बहु में कुकी समुदाय से आती है। इसलिए उपद्रव देख कर सेलेस्टिन का परिवार मैती समुदाय से डर गया। इसके बाद उनका परिवार रात के अंधेरे में मणिपुर में अपने घरबार छोड़ कर भागकर अपनी जान बचाया। किसी तरह उनका परिवार अपनी कुकी बहु को छिपाता हुआ मणिपुर बॉर्डर पार किया और छिपता छिपाता किसी तरह सिमडेगा स्थित अपने गांव तुमड़ेगी पंहुचा। सेलस्टिन अब वापस मणिपुर जाने के नाम से भी कांप उठ रहा है। उसने बताया कि उसके परिवार ने जैसे हीं मणिपुर का घर छोड़ा उपद्रवी उसके घर को जला दिया है।

 

 

मणिपुर के खौफनाक मंजर को जेहन में समेटे पहली बार अपने ससुर के गांव पंहूची सेलसटिन की बहु लालरिंगमोई हमर के आंखों में डर नजर आता है। हालाकि वह मणिपुर में रहने वाले अपने माता पिता से मिलने फिर से मणिपुर जाने की इच्छा रखती है। उसने सरकार से गुहार लगाई है कि मणिपुर के बवाल को शांत कराए जिससे वहां लोग शांति से रह सकें।

 

 

अपना सबकुछ छोड़ कर अपने गांव पंहुचा सेलसटिन का 19 सदस्य परिवार के सामने अब सबसे बड़ी समस्या है परिवार के पालन का। झारखंड सरकार और जिला प्रशासन अब इस परिवार को कैसे फिर से बसने में मदद करेगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन इन्हें जल्द मदद नहीं मिली तो उपद्रवी के डर से भाग कर अपने जन्मभूमि के शरण में पंहुचे सेलस्टीन का परिवार फिर से बिखर जायेगा।

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