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फिर से बढ़ा देश का सम्मान ,जहां की जन्म वहीं का नाम, गोड्डा के धूनी सोरेन ने इंग्लैंड में बनाया बोआरीजोर

फिर से बढ़ा देश का सम्मान ,जहां की जन्म वहीं का नाम, गोड्डा के धूनी सोरेन ने इंग्लैंड में बनाया बोआरीजोर

.आयुष कुमार / जिल्लाटॉप . इंग्लैंड की राजधानी लंदन में बसे डॉक्टर धुनि सोरेन अपने परिवार के साथ जब अपना जन्म गांव बोआरीजोर और पहुंचे, खबर सुनते ही गांव वासियों ने बैंड बाजे ढोल नगाड़े से किया उनका स्वागत दो धोनी सोरेन अपना गांव पहुंचते ही प्रखंड मुख्यालय गए जहां राष्ट्रपति से सम्मानित राम सोरेन को माला अर्पित किए। इसके बाद वह अपने गांव के राजकीरत मध्य विद्यालय बोआरीजोर पहुंचे । उन्होंने वहां के बच्चे एवं बड़ों को संबोधित करते हुए कहा कि आज मैं जिस भी मुकाम पर हूं उनका सारा श्रेय मेरे जन्मभूमि ज्ञान भूमि और कर्मभूमि को जाता है। उन्होंने बताया मेरा जन्म स्थल और प्रारंभिक शिक्षा भी बोआरीजोर ही है, जहां से मुझे पता चला था कि काम के तलाश में कहीं भी जाएं लेकिन अपने मातृभूमि गुरु और जनानी के प्रति सम्मान हमेशा हृदय में होना चाहिए। उन्होंने बताया हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाती है लेकिन अब हमारी चिड़िया चांद पर भी दाना चुगने को तैयार है उन्होंने स्कूली बच्चों को उपहार के तौर पर अपने हृदय स्पर्श पुस्तक एन एनलाइकली टेल ऑफ ए संथाल विलेजर इन इंग्लैंड नाम की पुस्तक भेंट के रूप में दी।

 

आपको बता दे उनका जन्म 1935 बोआरीजोरे में हुआ यहीं से शुरुआती शिक्षा लेने के बाद वे राजाबिट्ठ पथरगामा गोड्डा के बाद दुमका आदि तक में पड़कर इंग्लैंड पहुंचे।। उन्होंने स्नातक डिग्री एसकेएमयू विश्वविद्यालय से प्राप्त की।। उन्होंने कहा मैं भले ही इंग्लैंड में हूं परंतु अपने गांव व देश के प्रति सम्मान और प्रेम अभी भी मेरे रग रग में बसा जिससे मैं आगे किसी भी कार्य को करना शुरू करता हूं तो मेरे अंदर की ऊर्जा हमेशा भरी की भरी रहती है ।

 

 

बोआरीजोर से इंग्लैंड तक का सफर

डॉक्टर धूनी सोरेन का जन्म 1935 के संथाल परगना के गोड्डा जिले के बिहारी बोआरीजोर गांव में हुआ । उनके पिता गांव के प्रधान हुआ करते थे । उस जमाने में शिक्षा प्राप्त करना बहुत कठिन था समय ऐसा था कि पूरे सांथल प्रोग्राम में मात्र 3 सेकेंडरी स्कूल थी। उन्होंने दुमका जिला के स्कूल से दसवीं कक्षा को पास किए जिसके पश्चात थोड़ी बहुत अपने खर्च का व्यय करने के लिए वह अपने गांव के पोस्टमास्टर भी बने । उन्होंने यह ठान लिया था कि मुझे बना तो डॉक्टर ही है इसके बाद वह पटना जाकर पटना साइंस कॉलेज में इंटर की पढ़ाई की जिसके बाद उनका दाखिला पटना मेडिकल कॉलेज में हुआ । डॉक्टर की डिग्री MBA लेने के बाद उन्होंने बिहार सरकार की नौकरी में जाकर जामताड़ा के सिविल अस्सिटेंट सर्जन के रूप में सेवा भी दी। 1965 में डॉक्टर धुनी साहब यूके की ओर गए और लंदन के विशाल रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन में मेडिकल की उच्च शिक्षा प्राप्त की और इस समय वह इंग्लैंड के मशहूर डॉक्टर में से एक है।। डॉक्टर साहब की एक और रोचक बातें यह भी थी कि वह अपने अनुभव से पुस्तक को भी लिखा करते थे। हाल ही में पिछले साल उनकी हिस्ट्री ऑफ संथाल नामक पुस्तक उनकी प्रकाशित हुई है।।
साथ ही डॉक्टर धोनी साहब की गाड़ी फेसबुक ट्विटर आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी पूरी तरह से सक्रिय भी रहते हैं।।

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