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उखाड़ फेका गया महगामा में 96 लाख का सरकारी नगरपंचायत वाला बेरियर, बांस,बल्ली,बोर्ड और इज्जत सब धरासाई

उखाड़ फेका गया महगामा में 96 लाख का सरकारी नगरपंचायत वाला बेरियर, बांस,बल्ली,बोर्ड और इज्जत सब धरासाई

उखाड़ फेका गया महगामा में 96 लाख का सरकारी नगरपंचायत वाला बेरियर, बांस,बल्ली,बोर्ड और इज्जत सब धरासाई

TEAM_JILLATOP : हुर्रा सी प्रोजेक्ट ज़ब से शुरू हुआ है तब से जिले में इस नए खदान के आसपास हर महीने कोई ना कोई नई कहानी बनते और बात बिगड़ते दिखाई दे हीं देती है l गुरुवार दोपहर भी कुछ ऐसा हीं हुआ l मामला तब ज्यादा गहरा गया ज़ब कुछ लोगों ने मोहनपुर – सिमरा मुख्य मार्ग पर लगे सरकारी डाक किये हुए 96 लाख के बेरियर को उखाड़ फेंक धरासाई कर दिया l

क्या है मामला

मोहनपुर सिमरा मुख्य मार्ग में नगर पंचायत का बेरियर लगा हुआ है l आगे की बात जानने से पहले आप ये भी जान लीजिये की पिछली बार ये बेरियर डाक के द्वारा मंटूभगत ने लिया था जो इस बार डाक द्वारा रंजीत सिंह ने ले लिया गया l जिस जगह पर यह बेरियर लगाया गया है ठीक उससे 10 कदम आगे नए शुरू हुए हुर्रा सी प्रोजेक्ट का मुख्य मार्ग भी बना हुआ है l जहां रोजाना तकरीबन 200 से ढाई सौ ट्रिप कोयला लदी ट्रक गाड़ियों का आवागमन हुर्रा सी से कोयला परियोजना ललमटिया होता है l अब होता है यह है की गुरुवार की सुबह अचानक से तकरीबन 100 की संख्या में स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बैरियर पर धावा बोल दिया गया साथ ही पूरे बैरियर को उखाड़ कर फेंक दिया गया l

क्या है बैरियर और स्थानीय ग्रामीणों के बीच का विवाद

जहां पर बैरियर लगा हुआ है वहां से 10 कदम आगे वह सड़क शुरू होती है जहां से हुर्रा सी जाने का रास्ता बना हुआ है l जब कोयला लदी ट्रक इस हुर्रा सी वाली सड़क से निकल कर मोहनपूर – सिमड़ा मुख्य मार्ग पर पहुंचती है तब तकरीबन 50 से 60 की संख्या में स्थानीय ग्रामीण जोर जबरन कोयला लदी ट्रक गाड़ियों को रोक कर उस पर चढ़ जाते हैं और कोयला ऊपर से नीचे फेंक देते हैं l कोयला फेंकने के बाद चलती गाड़ियों पर से कूद के नीचे उतर भी जाते हैं l इन कोयले से स्थानीय ग्रामीण अपना जीवन यापन करते हैं और कोयला बेच कर अपना रोजगार चलाते हैं l अंदरूनी बात यह है कि बैरियर के यहां पर रहने से रोजाना ट्रकों को रोक के ऊपर चढ़कर कोयला नीचे उतारना जैसी बातें सार्वजनिक हो जाते हैं l क्योंकि इस तरीके से वैध कोयले की गाड़ी रोककर उसे नीचे उतार कर कोयला बेचना गैरकानूनी है l और बगल में सरकारी बैरियर होने से ग्रामीणों को ये डर लगा रहता है कि किसी दिन उनकी रोजी-रोटी छीन सकती हैं l

बैरियर किसने उखाड़ फेंका

ग्रामीणों का आरोप है कि बैरियर पर काम करने वाले युवक शराब पीकर ग्रामीणों से झगड़ा करते हैं l हालांकि बैरियर पर काम करने वाले लड़कों ने एक वीडियो साझा करते हुए दिखाया कि गांव के ग्रामीण ही आकर जबरन उनसे झगड़ा करते हैं ताकि उन्हें कोई मौका मिले और फिर झगड़ा आगे और बड़ा रूप ले ले

मौके पर पहुंची महागामा थाना

सुबह जब तकरीबन 50 से 60 की संख्या में ग्रामीणों ने आकर सरकारी बेरियर को उखाड़ फेंका तो बैरियर पर काम करने वाले युवकों ने इसकी सूचना थाना प्रभारी को दी l इसके बाद थाना प्रभारी मौके पर दल बल के साथ पहुंचे और ग्रामीणों और बैरियर पर काम करने वाले लोगों के साथ बैठकर बात की l थाना प्रभारी को ग्रामीणों ने बताया कि बैरियर पर काम करने वाले लड़के शराब पीकर उनके साथ मारपीट करते हैं l वही बेरियर पर काम करने वाले लड़कों ने बताया कि रोज जबरन झगड़ा करने की मंशा के साथ स्थानीय कुछ ग्रामीण युवक बैरियर पर शराब पीकर चले आते हैं और झगड़ा करने के लिए उकसाते हैं ताकि बेरियर यहां से हट जाये और ट्रक रोक कर कोयला उतरते रहे l

क्या कहते हैं थाना प्रभारी

3 – 4 घंटे की लंबी बातचीत के बाद थाना प्रभारी ने ग्राम प्रधान और दोनों पक्षों को साथ में बैठ कर मामले का निष्कर्ष निकालने का आदेश दिया है l साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि बैरीयर सरकारी संपत्ति है और जिसके बारे में भी है पता चलेगा कि उसने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है उसके ऊपर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी l

ट्रक रोककर कोयला क्यों उतारते हैं ग्रामीण

ट्रकों को रोककर कोयला उतारने वाली बात कोई नहीं नहीं है l न प्रशासन, ना पत्रकार , ना आम जनता इस बात से इंकार कर सकती है कि जब तक ईसीएल में बेल्ट वाला सिस्टम नहीं लगा था तब तक मैनुअल तरीके से ही ट्रकों को नीचे खदान में भेजकर कोयला ऊपर डंप किया जाता था l इसी ग्रुप में है बेल्ट लगने के बाद इस काम पर लगाम लग गया लेकिन जैसे ही हुर्रा सी प्रोजेक्ट शुरू हुआ तब से या खेल फिर से चालू है l हुर्रा सी से निकलने वाली ट्रक जिन में कोयला लदा होता है उन्हें सिमड़ा वाले बैरियर से 10 कदम आगे जबरन रोका जाता है l तीन चार लड़के ट्रकों को पर चढ़ते हैं और जितना कोयला ऊपर से नीचे फेंक पाने में वह सक्षम होते हैं उतना फेंक देते हैं l बाद में इन को इन को आपस में बराबर बांट लिया जाता है l और उसको बेचकर मिलने वाले पैसे से लोग जीवन यापन करते हैं l इन तमाम बातों के बाद सोचने वाली बात एक यह भी जरूर है कि आज के इस आधुनिक युग में भी लोग कोयले को लूट कर दो से 4 प्रति किलो में उसे बेच कर अपना जीवन यापन करने को मजबूर है l सरकार के तमाम दावों को यह तस्वीरें खोखला साबित करती नजर आती हैं l

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